खादी भंडार बंद होने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर गहरा असर।

भवन जीर्णोद्धार की आशा में!

द देसी अंदाज़ (The Desi Andaz) संवाददाता।

हिरणपुर पाकुड़: महात्मा गांधी जी का सपना था अगर भारत को मजबुत करना है तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबुत करना पडेगा और ये बात देश के प्रधानमंत्री का भी सोच है तभी तो वो मेक इन इंडिया की सोच को आगे बढ़ा रहे हैं । पर पाकुड़ के हिरणपुर में यह सोच फेल हो जाती है क्योंकि एक तरह से ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ खादी ग्रामोद्योग का दूकान बीते आठ वर्षों से हिरणपुर बाजार में स्थापित समग्र विकास परिषद खादी भंडार जर्जर अवस्था मे बन्द पड़ा हुआ है।

अभी तक सम्बन्धित विभाग द्वारा इसकी जीर्णोद्धार को लेकर कोई पहल नही की गई है जबकी खादी ग्रामोद्योग का बोर्ड देश में सक्रीय है ।वर्ष 1982 में समग्र ग्राम विकास परिषद की एक शाखा हिरणपुर में स्थापित किया गया था। जो करीब 2016 से बंद पड़ा हुआ है। भवन की स्थिति अत्यंत की जर्जर अवस्था मे है। छत भी काफी टूटकर बिखर चुका है। जिसमे बारिश के समय अंदर के भाग में पानी भर जाता है। जबकि यह खादी भंडार खुलने के साथ ही वर्षो तक काफी अच्छे ढंग से व्यापार कर रहा था और स्थानीय लोगों के रोजगार का मुख्य साधन था।

भंडार में काफी मात्रा में खादी कपड़ा का कारोबार होता था। लोगो का जमघट लगा रहता था , पर वर्तमान में भंडार की स्थिति नारकीय बन जाने से वीरान छाया हुआ है। इस सम्बंध में लिट्टीपाड़ा शाखा के सचिव कैलाश भंगत से सम्पर्क करने पर बताया कि भवन जर्जर हो जाने के कारण इसे बंद कर दिया गया है। इस मद में राशि उपलब्ध होने पर जीर्णोद्धार कार्य को किया जाएगा।इसको लेकर हेड ऑफिस मुंबई को पत्र भेजा गया है।खादी भंडार में व्यवसाय पूर्व में अच्छी होती थी , तसर साड़ी ,मलमली थान , कम्बल सहित गर्मी में पहनने वाले वस्त्र आदि स्थानीय रूप से बनाया जाता था। साड़ी आदि का डिजाइन के लिए बनारस भेजा जाता था।

यहां से निर्मित वस्त्रों को रांची , गोड्डा , भागलपुर आदि जगहों में भेजा जाता था। बिडम्बना यह है कि जहां हम स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ का नारा बुलंद करते आ रहे है , पर स्वदेश में निर्माण की प्रयास करने वाले संस्थाओं की अवहेलना होता आ रहा है । लोग आधुनिकता के होड़ मे महंगे फैशन व विदेशी कपड़ो पर ज्यादा आकर्षित दिख रहे है। जबकि स्वदेश में बने सस्ते व टिकाऊ कपड़ो को लेकर किसी प्रकार को सार्थक सोच नही रख रहे है आज जहां भी खादी ग्रामोद्योग का दूकान है वहां भी वो अच्छी स्थिति में नहीं है । सरकार की उदासीनता वहां भी दिखती है ।

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